Vfyjgxbvxfg

Add To collaction

किन्नर का इंसाफ भाग 3

जब घरवाले नहीं मानते हैं तब सूरज और सरोज भाग कर शादी करने का फैसला कर लेते हैं , और एक दिन अचानक रात मे सरोज  घर से भाग जाती है.... पर गाँव पार करने से पहले ही सुरेश के दोस्त ने उसको पकड़ लिया और पकड़ कर घर ले आते हैं ।  सरोज को बहुत समझाया जाता है पर सरोज मानने को तैयार नहीं थी.....

सरोज बार-बार यही सवाल कर रही थी क्या कमी है सूरज में....?
क्यों आप लोग मेरी शादी सूरज से नही करवा रहे हैं.....?

पहले तो कुछ दिन सब अनदेखा कर रहे थे ।  लेकिन फिर एक दिन झुंझलाकर  सरोज की माँ ने बताया कि कमी लड़के में नहीं है कमी तुम में है तुम एक किन्नर हो,,,,,,और किन्नरों की शादी नहीं होती है....!

तुमको तो पैदा होते ही मार देना चाहिए था,,,, हमने एक किन्नर को जिंदगी दी और तुम आज हमारी इज्जत उतरवाने को तैयार हो ऐसा सरोज के पाप ने कहा,,,,,,
सरोज तो जैसे  इस बात को जानकर सदमे में चली गई थी ना कुछ खाती पीती ना किसी से बात करती बस अपने कमरे में पड़ी रहती थी,,,,,,,

मैं भी हैरान थी मुझे समझ नहीं आ रहा था मैं क्या करूं मैं सरोज की मदद करना चाहती थी पर मैं कुछ नहीं कर पाई....

तो क्या बुआ भाग गई थी फिर  मां......सौम्या पूछती है अपनी मां सुलेखा से

नहीं बेटा तुम्हारी बुआ भागी नहीं थी उस दिन,,,,,,,, सुलेखा बताती है सौम्या को और आगे की कहानी

सरोज अब हर समय गुमसुम सी रहती थी,,,,,, वह सूरज से मिलती तो नहीं थी..... लेकिन किसी से बात भी नहीं करती थी,   घरवालों से भी कटी - कटी सी रहती थी.....सब कुछ हो गया ठीक ही चल रहा था , लेकिन कुछ और बदला था वह था सुरेश का बिहेवियर अपनी बहन सरोज के प्रति.....

सुरेश अब सरोज को अपनी बहन नहीं बल्कि एक किन्नर के रूप में देखता है..... सीधे मुंह उससे बात भी नहीं करता है......हर बात पर नीचा दिखाना ताने मारना....... सुरेश अब सरोज का छुआ एक गिलास पानी तक नहीं पीता था,,,,,यहॉ तक सरोज अगर खाना खाने के टाइम भी आ जाती उसके सामने तो खाने की प्लेट फेक देता था......

एक दिन चिढ़कर सरोज किन्नर की तरह ही तैयार होकर सुरेश के पास आती है और तालियां बजाने लगती है,,,,,,,,और जोर-जोर से हंसती है....... सुरेश बहुत गुस्से में था उसने सरोज को एक थप्पड़ मारा जिसकी वजह से सुरेश के माँ पापा ने सुरेश को डांटा था ।

इस घटना के बाद सुरेश के मन में सरोज के लिए और नफरत भर गई थी...... क्योंकि अब उसे यह नहीं लग रहा था कि उसे डांट उसकी बहन की वजह से पड़ी है उसे लगता था उसे डांट इस किन्नर की वजह से पड़ी है,,,,,,,सुरेश अपने मां बाप से झगड़ा करता है और सरोज को मरवाने की बात करता है...... क्योंकि अगर यह बात गांव में फैलती की सरोज एक किन्नर है तो सुरेश की बहुत बदनामी होती,,,,,,,लोग उसका मजाक उड़ाते,,,,,,,,, सुरेश के मां-बाप दोनों इस बात पर सुरेश को खींचकर एक थप्पड़ मारते हैं और कहते हैं कि वह औलाद है हमारी....""""बेटा हो बेटी हो या किन्नर क्या फर्क पड़ता है,,,,,, माना हम उसे छुपा कर रखते हैं लोगों से ताकि उसका सच किसी को पता ना चले पर उसको मार डाले इतने भी हम नीच नहीं है.......

उसी रात तुम्हारी बुआ सरोज और तुम्हारे दादी बब्बा तीनों गायब हो जाते हैं..... तुम्हारे पापा उनको बहुत ढूंढते हैं ,  लेकिन उनका कहीं कुछ नहीं पता चलता है और धीरे-धीरे फिर इतना वक़्त हो गया कि ढूंढना भी बन्द कर देते  हैं,,,,,,,,, क्योंकि उनके मिलने की उम्मीद कहीं से भी कुछ नहीं समझ नहीं आ रही थी......

और फिर दोनों वही सो जाते हैं,,,,, अगले दिन सौम्या बेसब्री से रात का इंतजार करती है और आज अकेले ही सोती है,,,,,, वह वेट करती है कि वह आत्मा कब उसे आवाज लगाएगी.....ताकि वह उससे बात कर सके और रात 2:00 बजे के टाइम पर ताली बजने की आवाज आती है , लेकिन इस बार आवाज सौम्या की बालकनी से नहीं बल्कि उसके कमरे से ही आ रही थी और वही इत्र की खुशबू उसे कमरे में फैली हुई होती है...... सौम्या बेड पर बैठ जाती और पूछती है "कौन.....?   तभी एक साया सौम्या के सामने आता है और अगले दिन से सौम्या के बात करने का अंदाज - चाल सब कुछ बदल जाता है....


आगे की कहानी अगले भाग में....
शुक्रिया...


सोनिका शुक्ला


   3
0 Comments